संवैधानिक विचारधारा को पूर्णतः समर्पित-“न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर“
आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व तथागत गौतम बुद्ध ने समाज में व्याप्त वर्ण व्यवस्था, ईश्वरवाद, आत्मवाद, भाग्यवाद, पुनर्जन्म और अंधविश्वासों के सहारे लोगों को मानसिक गुलाम बना कर किए जा रहे शोषण, अत्याचार और भेदभाव के खिलाफ आंदोलन चलाया और सभी के लिए समता, स्वतन्त्रता, बंधुता और न्याय का मार्ग प्रशस्त किया और लगभग 1200 वर्ष तक बृहद भारत पर सत्य अहिंसा के पुजारी बुद्ध के अनुयायिओं का शासन रहा । इसी कालावधि में भारत को विश्वगुरु होने का गौरव प्राप्त हुआ और वह धांधन्य से परिपूर्ण सोने की चिड़िया बना । लेकिन उसके बाद अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या के बाद जो हुआ वह किसी से छिपा नहीं है । शूद्रों के उद्धार और मार्ग दर्शन हेतु समय-समय पर बहुजन महापुरुष अवतरित हुए हैं जो अत्याचार के खिलाफ आंदोलन चलाते रहे लेकिन सवर्ण मानसिकता के लोग उनकी क्रांति को निष्प्रभावी करते रहे । इसका मुख्य कारण बहुजनों को शिक्षा और संपत्ति के अधिकार से वंचित रखना था । आपसी मतभेद के कारण देश अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हुआ और उसकी शक्ति क्षीण होती गई जिसके फलस्वरूप विदेशी आतताईयों के आक्रमण होने शुरू हो गए और कालांतर में भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया । लंबी गुलामी के बाद बीसवीं सदी के मध्य में भारत आजाद हुआ तब ज्ञानपुंज बोधिसत्य बाबा साहब डॉ अंबेडकर ने भारत को न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता पर आधारित एक सम्पूर्ण, प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया और उन सभी कशाकथित ईश्वरीकृत अभिलेखों को निष्प्रभावी किया जिनकी आढ़ में सदियों से शूद्रों को शिक्षा और सपत्ति से बंचित रख कर मानसिक गुलाम बना लिया था और हजारों साल से उनका अनवरत शारीरिक और मानसिक शोषण हो रहा था ।
इतिहासकारों का बहुजन नायकों के साथ अन्याय. पूर्वग्रह से ग्रसित सवर्ण इतिहासकारों ने बहुजन नायकों के साथ अन्याय किया है। वे उनके संघर्ष और उनकी विचारधारा को इतिहास के पन्नों से गायब करते रहे हैं। इसका मुख्य कारण था 15% सवर्णों द्वारा 85% बहुजनों को शिक्षा से वंचित कर मानसिक गुलाम बना लेना । भारत की आजादी के बाद बाबा साहेब के संविधान ने शूद्रों की दशा और दिशा ही बदल दी । आज के शूद्र ने अपनी अस्मिता को पहचाना है, वह एक शिक्षित, जागरूक, साधन संपन्न, आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी है। अतः उसने सभी क्षेत्रों में महारथ हासिल की है और वह शीर्षस्थ स्थान पर पहुंचने में कामयाब हुआ है । लेकिन यह बात विचारणीय है कि यह बदलाव केवल शहरों और विकसित क्षेत्रों के चंद लोगों तक ही सीमित रहा और शिक्षा के अभाव दूर दराज के क्षेत्र इस विकास से अछूते ही रहे क्योंकि गरीबी और कुपोषण के कारण उन्हें शिक्षा क्रांति का समुचित लाभ नहीं मिला । साथ ही उन्हें बहुजनों के गौरवशाली इतिहास और बहुजन नायकों के संघर्ष, त्याग और अथक प्रयासों के बारे में नहीं बताया गया जो शिक्षित पीढ़ी की जिम्मेदारी थी ।
पे बैक टु सोसाइटीके प्रति कटिबद्ध. अपनी पे बैक टु सोसाइटी की कटिबद्धता को निभाने के लिए इस दिशा में अशोक बौद्ध जी और न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर की कोर टीम ने बहुत कारगर कदम उठाया है । वे विगत कई वर्षों से गांव-शहर से लेकर बहुजन समाज के आखिरी पायदान तक बहुजन महापुरुषों के संघर्ष, त्याग और उनकी विचारधारा के इतिहास को घर-घर पहुंचाने के उद्देश्य से न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर का अनवरत प्रकाशन कर रहे हैं । गाव-देहात और कस्बो-शहरों के जिन बहुजन समाज के घरों में आज तक बहुजन महापुरुषो का कोई चित्र-प्रतीक या इतिहास नहीं पहुंच पाया है, बहुजन महापुरूषों की विचारधारा व सवैधानिक विचारधारा से ओत-प्रोत न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर रूपी हमारा बहुजन इतिहास विगत कई वर्षों से वहाँ अपना मुकाम बना रहा है । पे बैक टू सोसाइटी के माध्यम से इस अभियान का हिस्सा बने और यथासंभव सहयोग करने/कराने वाले सम्मानित सहयोगियों के माध्यम से ही न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर प्रतिवर्ष आप और आपके परिचित सहयोगियों तक निःशुल्क पहुंचकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए संवैधानिक विचारधारा का प्रसार कर रहा है । समाज में इस कैलेंडर की लोकप्रियता, महत्ता और उपयोगिता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी प्रतियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ रही है।
सहयोग राशि लेखा संचालन अवधि 14 अप्रैल से 06 दिसम्बर. विगत वर्षों में न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर के प्रकाशन एवं नि:शुल्क वितरण के पश्चात भी अनेक प्रबुद्ध साथियों द्वारा ई-मेल, फेसबुक, ट्विटर, व्हाटसअप और फोन के माध्यम से सहयोग लिए जाने का अनुरोध किया जाता रहा है । इस संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवर्ष कलेंडर के मूद्रण के बाद उस वर्ष का लेखा बंद कर दिया जाता है । जिसके बाद न तो कोई सहयोग राशि स्वीकार की जाती है और न पुनः मुद्रण होता है । यह अकाउंट बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल को खुलता है और उनके परिणिर्वाण दिवस 06 दिसंबर को बंद हो जाता है। अकाउंट संचालन की सूचना और अकाउंट संख्या आदि का विवरण उचित सामाजिक माध्यमों द्वारा उचित समय पर दिया जाता है । सभी साथियों से अनुरोध किया जाता है कि आने वाले वर्ष में संपादक महोदय द्वारा सहयोग की अपील के बाद ही जो 14 अप्रैल के आसपास की जाएगी अपनी सहयोग राशि वांछित अकाउंट में जमा करें, सहयोग राशि का स्क्रीन शॉट, अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर सहित शेयर करें और अपने न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर की प्रतियां सुनिश्चित करें ।
बहुजन विचारधारा के अन्य कलेंडरों संबंध में. न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर का संपादन और मुद्रण अशोक बौद्ध जी, झांसी के संरक्षण में होता आया है । समाज में निरंतर छापे जा रहे बहुजन विचारधारा के अन्य कैलेण्डरों में बाधक न बनने के संबंध में जब अशोक बौद्ध जी से बात की जाती है, तो उनका उत्तर लाजवाब होता है, जो हर किसी को अनुत्तरित कर जाता है । उनका कहना है कि-“हम चाहते हैं कि इसी नाम से या अन्य किसी नाम से बहुजन विचारधारा के ऐसे कैलेण्डर किसी एक संगठन या व्यक्ति या स्थान विशेष से ही न छपकर जब भारत के प्रत्येक गांव, जिला, प्रदेश में छपने लगेंगे, तभी हम भारत के लोगों तक संवैधानिक विचारधारा को इस कैलेण्डर के माध्यम से घर-घर पहुंचा सकेंगे, अन्यथा यह सब संवैधानिक विचारधारा का प्रचार-प्रसार न होकर किसी एक जिले में किसी एक व्यक्ति या संस्थान विशेष के प्रचार मात्र का शुल्क सहित माध्यम बनकर रह जाएगा और उसकी उपलब्धता भी सीमित क्षेत्र तक ही रहेगी।”
न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर की विषय वस्तु. वास्तव में जब आप न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर का ध्यानपूर्वक सूक्ष्म अवलोकन करेंगे, तो आपको आभास होगा कि वास्तव में कोर टीम का यह कार्य गागर में सागर भरने जैसा है । संपादक, अशोक बौद्ध जी की टीम प्रतिवर्ष गहन अध्ययन व अन्वेषण कर, वास्तविक रूप से और लोकतांत्रिक नजरिए से इस कैलेण्डर की डिजाइन तैयार करती है। इस कैलेण्डर में बहुजन समाज के सभी महापुरुषों को समाहित कर, उनके जन्म-स्मृति दिवस को वर्ष सहित उकेरा जाता है। बात चाहे अंतरजातीय विवाह की हो या संविधान प्रचार की, समाज की इन सभी महती चर्चाओं को कैलेण्डर में प्रमुखता से स्थान मिलना इसकी विशिष्ट संपादन कला को दर्शाता है। विगत वर्ष के कैलेण्डर में शैक्षिक सत्र के प्रारंभिक माह जुलाई में बहुजन विचारधारा के नाम वाले स्कूल-कालेजों के चित्र हमें ‘स्कूल चलो’ अभियान की याद दिलाते हैं और संवैधानिक विचारधारा के कार्य भी। विगत वर्षों के कैलेण्डर में संविधान का कवर पेज भी आकर्षक व बेहद महत्वपूर्ण जानकारी भरा था । प्रत्येक महापुरुष के चित्र के नीचे उनका नाम व समय अंकित होने से उस महापुरुष के बारे में अनभिज्ञ व्यक्ति भी सहजता से जानकारी प्राप्त कर सकता है । बहुजन स्मारकों और सुंदर पार्कों का चित्र हमारी अनमोल बहुजन धरोहर है जो बहुजन नाइकों के असीम संघर्ष की परिचायक है जिसे कैलेण्डर में प्रमुखता से स्थान मिलता है। समग्र बहुजन ऐतिहासिक जानकारी को समेटे हुए हर एक घर की दीवार पर टंगा यह कैलेंडर जिसे परिवार का प्रत्येक छोटा-बड़ा सदस्य जाने-अनजाने हर क्षण, दिन, माह, वर्ष पढ़ता रहता है । विशेषतः यह कैलेंडर महिलाओं के सामाजिक विकास में बहुत सहयोगी सिद्ध हुआ है । अपनी प्रातःकालीन दिनचर्या से निवृत होने के बाद जब वे अपने आराम के आस्वस्त क्षणों में अपने ड्राइंग रूम में मनोरंजन हेतु कुछ खोजती हैं तब उनकी दृष्टि बहुजन कैलेंडर पर जाती है तो बहुजन नायकों की संघर्ष गाथाएं उनके आकर्षण का कारण बनती हैं । जब वे इसे पढ़ती हैं तो काया ही पलट जाती है ; बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास उन पर एक अमिट छाप छोड़ जाता है, उनके अचार विचार व झूठी मान्यताओं में आशातीत बदलाव स्वाभाविक रूप से दृष्टिगोचर होता है । यह सच है कि अगर किसी परिवार की विचारधारा को बदलना है तो उस परिवार के महिला सदस्यों के विचारों को बदलो । ऐसे में अशोक बौद्ध जी और उनकी पूरी टीम “हमारा घर–हमारी विचारधारा का कैलेण्डर” को सार्थक कर रही है । आपके कार्य से अब समाज आशान्वित हो चला है कि ऐसी सामाजिक प्रेरणा से ओतप्रोत ऐसे कैलेण्डर अब समाज के हर गांव-गली से निकलना प्रारंभ होंगे।
मेधावी छात्र और गुमनाम प्रतिभाओं को प्रोत्साहन. इस कैलेण्डर की कोर टीम द्वारा ऐसे छात्र-छात्राएं जिन्होंने विषम सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों में श्रेष्ठतम अंकों से परीक्षा उत्तीर्ण कर या प्रतियोगी परीक्षाओं में अपना मुकाम हासिल कर अपने गांव व समाज का नाम रोशन किया हो उनका मनोबल बढ़ाने हेतु उनके फोटो सहित नाम इस कलेंडर में नि:शुल्क प्रकाशित किए जाते हैं ताकि इनसे अन्य छात्रों को भी प्रेरणा मिले । इसके साथ ही दूरदराज़ के ग्रामीण अंचल में रहकर समाज को जगाने वाले ऐसे बहुजन गायक, लोक गायक, कवि, लेखक, गीतकार, यूटुबर जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी अपना संघर्ष जारी रखा है की तस्वीरें न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेंडर में नि:शुल्क प्रकाशित होती हैं जिससे देश दुनिया को ऐसी गुमनाम प्रतिभाओं को जानने का अवसर मिलता है । न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेंडर में सामाजिक समता हेतु कार्यरत महामानवों के खबसूरत चित्रों व स्लोगनों के साथ दुर्लभ प्रकाशन इस कलेंडर में किया जाता है । विगत कई वर्षों से यह कैलेंडर देश में सामाजिक समता हेतु कार्यरत महापुरुषों के चित्र उनके उद्बोधनों के साथ अत्यंत आकर्षक स्वरूप में अनवरत प्रकाशित हो रहा है । वास्तव में जितना कठिन कार्य ऐसे कैलेंडरों के वस्तु चयन, डिज़ाइन, सम्पादन और छपाई में होता है, उतना ही कठिन इनका वितरण भी है।
न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेंडर 2024. पाठकों की जानकारी के लिए न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेंडर 2024 की प्रविष्टियों का विवरण इस प्रकार है: मुख्य पृष्ठ पर भारत का संविधान और भाग-4(क), अनुच्छेद-51 क के तहत नागरिकों के अधिकार और इसके दूसरे पृष्ठ पर कैलेंडर छपाई हेतु आर्थिक सहयोग और सहयोगियों के नाम । वर्ष के विभिन्न महीनों में बहुजन महापुरुषों के जन्म दिवस, परिनिर्वाण/स्मृति/शहादत दिवस दर्शाये गए हैं साथ ही जनवरी माह में भीमा कोरेगांव विजय स्तम्भ, माता सावित्रीबाई फुले, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा, फरवरी में आंबेडकर पार्क गुरु रविदास जी, मार्च में राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल-नोएडा व कांशीराम साहब, अप्रैल में बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर, आनागरिक धम्मपाल, ज्योतिबा फुले, मई में महाबोधि बिहार-बोध गया व तथागत बुद्ध, जून में सामाजिक परिवर्तन चौक- लखनऊ व छत्रपति शाहू जी महाराज, जुलाई में बहुजन महापुरुषों के नाम से खोले गए विद्यालय, अगस्त में रामस्वरूप वर्मा, नारायणा गुरु एवं अय्यंकाली, सितंबर में पेरियार ललई सिंह यादव, पेरियार रामासामी नायकर एवं भगत सिंह, अक्टूबर में बाबा साहब डॉ अम्बेडकर, दीक्षा भूमि-नागपुर एवं सम्राट अशोक, नवम्बर में मातादीन भंगी से लेकर बिरसा मुंडा आदि तथा दिसम्बर में स्वामी अछूतानंद हरिहर, सारनाथ एवं गुरु घासीदास के चित्र छापे गए हैं ।
सामाजिक कार्य में आलोचना से निश्चिंत. संपादक, अशोक बौद्ध जी व उनकी कोर टीम इस प्रकार के शानदार कैलेंडर को नियमित कई वर्षों से छापते हुए देश भर में निःशुल्क वितरित कर रहे हैं। ऐसे कार्य करने वालों के मार्ग में अपयश, शिकायत, आलोचना आदि भी खूब मिलते हैं फिर भी इनसे बेपरवाह होकर ही ऐसे शानदार कार्य किये जा सकते हैं। हम सभी प्रबुद्ध जनों से लगातार सहयोग की कामना करते हैं और न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेंडर के सम्पादन, प्रकाशन, वितरण से जुड़े साथियों का आभार प्रदर्शित करते हैं। बहुजन समाज में अभी तक यही होता चला आया है कि पैसा हमारा और घर में कैलेण्डर किसी दूसरी विचारधारा का । प्रबुद्ध साथियों और अशोक बौद्ध जी व उनकी कोर टीम के अथक प्रयासों से आज बहुजन समाज के घर घर में बहुजन विचारधारा का “न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर” अपनी बहुजन गाथा का बखान कर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिदिन दीवाल से ही बहुजन परिवारों को जागृत कर रहा है। वास्तव में समस्त परिवार को वर्ष के 365 दिन जागरूक बनाये रखने का इससे बेहतर कोई विकल्प नजर नहीं आता। अशोक बौद्ध की टीम द्वारा 15इंच×20इंच की साइज के 130GSM के पेपर के 14 पृष्ठों पर मुद्रित, बायरो वाइंडिंग के साथ यह कलेंडर उपलब्ध करवाया जाता है ताकि समाज अपने महापुरुषों के संघर्ष, त्याग, बलिदान, योगदान को आत्मसात कर सके और उनमें नई चेतना का संचार हो सके ।
एक निवेदन. इस महान कार्य में यदि कोई साथी अपना आर्थिक योगदान करना चाहते हैं तो वह हमारी कोर टीम द्वारा वेरिफाइड बैंक खाते में 14 अप्रैल से 06 दिसंबर के मध्य तक योगदान कर सकते हैं । सहयोग राशि का स्क्रीन शॉट, अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर सहित शेयर करें ताकि कलेंडर की प्रतियां निर्बाध उपलब्ध कराई जा सकें
न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर का Email ID:newprabudhbharat@gmail.com
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अतिरिक्त जानकारी के लिए 9810726588 पर कॉल करें।
(अशोक बौद्ध, संपादक, न्यू प्रबुद्ध भारत कैलेण्डर)
Completely dedicated to constitutional ideology – “New Prabuddh Bharat Calendar”
About two and a half thousand years ago, Tathagat Gautam Buddha launched a movement against the exploitation, oppression and discrimination being done by making people mental slaves with the help of caste system, theism, animism, fatalism, reincarnation and superstitions prevailing in the society and for all. Paved the path of equality, freedom, fraternity and justice and for about 1200 years, greater India was ruled by the followers of Buddha, the priest of true non-violence. During this period, India got the distinction of being the world leader and became a golden bird full of prosperity. But what happened after the murder of the last Maurya emperor Brihadratha is not hidden from anyone. From time to time, Bahujan great men have appeared for the salvation and guidance of the Shudras, who continued to lead movements against atrocities, but people with upper caste mentality kept making their revolution ineffective. The main reason for this was to deprive the Bahujans of their rights to education and property. Due to mutual differences, the country got divided into many small states and its power started weakening, as a result of which attacks by foreign terrorists started and with time, India got caught in the chains of slavery. After long slavery, when India became independent in the middle of the twentieth century, then the enlightened Bodhisatya Baba Saheb Dr. Ambedkar made India a complete, sovereign socialist secular democratic republic based on justice, freedom, equality and fraternity and neutralized all those so-called theocratic records. Under whose guise, Shudras were made mental slaves by depriving them of education and property for centuries and they were being continuously physically and mentally exploited for thousands of years.
Historians’ injustice to Bahujan heroes. Prejudiced upper caste historians have done injustice to Bahujan heroes. They have been making their struggle and their ideology disappear from the pages of history. The main reason for this was that 15% of the upper castes had deprived 85% of the Bahujans of education and made them mental slaves. After India’s independence, Baba Saheb’s constitution changed the condition and direction of Shudras. Today’s Shudra has recognized his identity, he is educated, aware, resourceful, self-reliant and self-respecting. Therefore, he has achieved mastery in all fields and has succeeded in reaching the top position. But it is worth considering that this change was limited only to a few people in cities and developed areas and the remote areas lacking education remained untouched by this development because due to poverty and malnutrition they did not get the proper benefit of the education revolution. Also they were not told about the glorious history of Bahujans and the struggle, sacrifice and tireless efforts of Bahujan heroes which was the responsibility of the educated generation.
Committed to Pay Back to Society. To fulfill its commitment of Pay Back to Society, Ashok Bauddh Ji and the core team of New Prabuddh Bharat Calendar have taken very effective steps in this direction. For the past many years, he has been continuously publishing the New Prabuddh Bharat Calendar with the aim of taking the history of struggle, sacrifice and ideology of Bahujan great men to every home, from village to city to the last rung of Bahujan society. Our Bahujan history in the form of New Prabuddh Bharat Calendar, imbued with the ideology and constitutional ideology of Bahujan great men, has not reached the homes of the Bahujan community in villages, villages and towns-cities, where till date no picture, symbol or history of Bahujan great men has reached. It has been making its mark there for many years. Be a part of this campaign through Pay Back to Society and only through respected colleagues who cooperate as much as possible. The New Prabuddh Bharat Calendar will reach you and your known colleagues every year for free, while discharging its social responsibility and spreading the constitutional ideology. Used to be . The popularity, importance and usefulness of this calendar in the society can be estimated from the fact that the number of its copies is increasing every year.
Contribution amount account operation period is from 14th April to 06th December. In the past years, even after the publication and free distribution of New Prabuddh Bharat Calendar, many enlightened friends have been requesting for cooperation through e-mail, Facebook, Twitter, WhatsApp and phone. In this regard, it is clarified that after the printing of the calendar every year, the accounts for that year are closed. After which neither any contribution amount is accepted nor re-printing takes place. This account opens on 14th April, the birthday of Bodhisattva Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar and closes on 06th December, his death anniversary. Information about account operations and details of account number etc. is given at appropriate time through appropriate social mediums. All colleagues are requested to deposit their contribution amount in the desired account in the coming year only after the appeal for cooperation by the Editor, which will be made around 14th April, screen shot of the contribution amount, your name, address, mobile number. Please share and ensure your copies of New Prabuddh Bharat Calendar.
Regarding other calendars of Bahujan ideology. The editing and printing of New Prabuddh Bharat Calendar is being done under the patronage of Ashok Buddhist Ji, Jhansi. When Ashok Bauddh ji is talked to about not becoming a hindrance in the other calendars of Bahujan ideology being continuously printed in the society, his answer is wonderful, which is unanswerable to everyone.
Does it. He says that – “We want that when such calendars of Bahujan ideology, under this name or any other name, will start being published in every village, district, state of India and not just by one organization or person or a particular place, then only then we will We will be able to take the constitutional ideology to every home of the people of India through this calendar, otherwise, instead of propagating the constitutional ideology, it will just become a fee-laden medium for the promotion of a particular person or institution in a district. Its availability will also be limited to limited areas only.”
Contents of New Prabuddh Bharat Calendar. In fact, when you carefully observe the New Prabuddh Bharat Calendar, you will realize that this work of the core team is actually like filling the ocean in a pitcher. The team of Editor, Ashok Bauddh ji, designs this calendar realistically and from a democratic perspective every year after extensive study and investigation. In this calendar, all the great men of Bahujan community are included and their birth and memorial days along with the year are engraved. Be it inter-caste marriage or Constitution promotion, all these important discussions of the society getting prominent place in the calendar reflects its special editing art. In the calendar of last year, in the initial month of the academic session, July, the pictures of schools and colleges with the name of Bahujan ideology remind us of the ‘School Chalo’ campaign and also the work of constitutional ideology. In the previous years’ calendar, the cover page of the Constitution was also filled with attractive and very important information. With the name and time of each great man mentioned below his picture, even an ignorant person can easily get information about that great man. The picture of Bahujan monuments and beautiful parks is our precious Bahujan heritage which is a reflection of the immense struggle of Bahujan heroes and which gets a prominent place in the calendar. This calendar hangs on the wall of every house, containing the entire Bahujan historical information, which every small and big member of the family knowingly or unknowingly keeps reading every moment, day, month and year. Especially this calendar has proved to be very helpful in the social development of women. After retiring from her morning routine, when she is looking for something to entertain herself in her drawing room in her relaxed moments, when her eyes go to the Bahujan calendar, the struggle stories of Bahujan heroes become the reason for her attraction. When she reads it, her whole body changes; The glorious history of Bahujan great men leaves an indelible impression on them, the unexpected change in their immoral thoughts and false beliefs is naturally visible. It is true that if the ideology of a family has to be changed then change the thoughts of the female members of that family. In such a situation, Ashok Buddh ji and his entire team are making “Our Home – The Calendar of Our Ideology” meaningful. Due to your work, the society has now become hopeful that such calendars imbued with such social inspiration will now start appearing in every village and street of the society.
Encouragement to meritorious students and unknown talents. In order to boost the morale of the core team of this calendar, the names of those students who have brought glory to their village and society by passing the examination with best marks in adverse social and economic circumstances or by achieving their position in competitive examinations, are included in this calendar along with their photos. These are published free of cost so that they can inspire other students also. Along with this, photographs of such Bahujan singers, folk singers, poets, writers, lyricists, YouTubers who have awakened the society by living in remote rural areas and who have continued their struggle even in adverse circumstances, are published free of cost in the New Prabuddh Bharat Calendar. Due to which the country and the world get an opportunity to know such unknown talents. In the New Prabuddh Bharat Calendar, a rare publication is done in this calendar with beautiful pictures and slogans of great people working for social equality. For the past many years, this calendar has been continuously published in a very attractive format with the pictures of great men working for social equality in the country and their speeches. In fact, the more difficult the work is in the selection, design, editing and printing of such calendars, the more difficult is their distribution.
New Prabuddh Bharat Calendar 2024. For the information of the readers, the details of the entries of New Prabuddh Bharat Calendar 2024 are as follows: Home Page Constitution of India and Rights of Citizens under Part-4(A), Article-51A and others Financial assistance for printing the calendar on the page and names of partners. In different months of the year, birth anniversaries of Bahujan great men, Parinirvan/Memory/Martyrdom days have been shown, along with Bhima Koregaon Vijay Stambh, Mata Savitribai Phule, Gautam Buddha University Noida in the month of January, Ambedkar Park Guru Ravidas Ji in February, National Memorial in March. Dalit Inspiration Place – Noida and Kanshi Ram Saheb, Baba Saheb Dr. Ambedkar, Anagarik Dhammapal, Jyotiba Phule in April, Mahabodhi Bihar – Bodh Gaya and Tathagat Buddha in May, Social Change Chowk – Lucknow and Chhatrapati Shahu Ji Maharaj in June, Bahujan in July. Schools were opened in the names of great men, Ramswaroop Verma, Narayana Guru and Ayyankali in August, Periyar Lalai Singh Yadav, Periyar Ramasamy Naykar and Bhagat Singh in September, Baba Saheb Dr. Ambedkar in October, Deeksha Bhoomi-Nagpur and Samrat Ashoka, Matadeen in November. From Bhangi to Birsa Munda etc and in December Pictures of Swami Achutananda Harihar, Sarnath and Guru Ghasidas have been printed.
Free from criticism in social work. Editor, Ashok Bauddh ji and his core team have been printing such wonderful calendars regularly for many years and distributing them free of cost across the country. Those who do such work come across a lot of slander, complaints, criticism etc., yet such wonderful work can be done only by being unconcerned with them. We wish continuous cooperation from all the enlightened people and express our gratitude to the colleagues associated with the editing, publication and distribution of the New Prabuddh Bharat Calendar. Till now, what has been happening in the Bahujan community is that the money is ours and the calendar in the house belongs to some other ideology. Due to the tireless efforts of the enlightened comrades and Ashok Bauddh Ji and his core team, today the “New Prabuddh Bharat Calendar” of Bahujan ideology is being spread in every home of the Bahujan community by narrating its Bahujan saga and indirectly awakening the Bahujan families from the wall every day. . In fact, there seems to be no better option than this to keep the entire family aware 365 days of the year. Printed on 14 pages of 130 GSM paper of size 15 inches × 20 inches, this calendar is provided with biro winding by the team of Ashok Bauddh so that the society can imbibe the struggle, sacrifice, contribution of its great men and create new consciousness in them. Can be communicated.
A request. If any friend wants to contribute financially in this great work, then he can contribute in the bank account verified by our core team between 14th April to 06th December. Share a screen shot of the contribution amount along with your name, address, mobile number so that copies of the calendar can be made available seamlessly.
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Ashok Bauddh (Editor)
New Prabuddh Bharat Calendar